भगवान् को प्रिय कौन है ?
हनुमान या विभीषण ?
भगवान् को दोनों प्रिय है , लेकिन हनुमान अधिक प्रिय है , क्यो ?
हनुमान और विभीषण दोनों ही भगवान् का नाम जपते है ।
हनुमान और विभीषण दोनों ही भगवान् को हर समय याद रखते है ।
लेकिन दोनों में एक अन्तर है !
हनुमान भगवान् को अधिक प्रिय है !
क्या विभीषण रावण का भाई था इस लिए अधिक प्रिय नही है ?
क्या उसने रावण को धोखा दिया था इसलिए अधिक प्रिय नहीं है ?
क्या कारण है की विभीषण भगवान् को प्रिय है लेकिन हनुमान जी अधिक प्रिय है ?
हनुमान जी के मन्दिर है , विभीषण जी के नही ! क्यो ?
हनुमान जी के मन्दिर में राम जी मूर्ति हो जरुरी नही !
लेकिन राम जी का मन्दिर हो हनुमान जी ना हों ऐसा हो नहीं सकता ! क्यो ?
हनुमान जी राम जी को अधिक प्रिय क्यो है ?
हनुमान जी राम जी का नाम लेते हैं तो वो तो विभीषण भी लेते हैं
भगवान् संबंधों को नहीं मानते कौन किसका भाई है ! जो भगवान् को भजता है वो राम जी को प्यारा है !
विभीषण ने धर्म का साथ दिया है । भगवान् के पास तो अभय प्राप्त करने आए थे , तो धोखा कैसा !
फिर भी हनुमान जी राम जी को प्रिय है !
क्या बात है की हनुमान जी राम जी को प्रिय है ?
हनुमान जी राम जी को प्रिय है क्योकि हनुमान जी राम जी का नाम ही लेते हैं ऐसा नहीं है , उनके नाम का जप करते हैं हर समय केवल ऐसा है ,नहीं केवल ऐसा ही नहीं है , हनुमान जी एक काम और करते है जो विभीषण " आप और हम " नहीं करते, आप और हम भी तो राम जी का नाम लेते है ,जप करते हैं, हम भी तो राम जी को प्रिय है , भगवान् को हम सब प्रिय हैं , लेकिन फ़िर भी हनुमान जी राम जी को अधिक प्रिय है , क्यो ?
क्योकि हनुमानजी राम जी नाम भी लेते है और काम भी करते हैं , वो भगवान् का काम करते हैं, वो भगवान का सब काम करते है , वो सब काम भगवान् का है ऐसा करके करते है, उनमें कोई स्वार्थ नहीं है , हर कार्य प्रभु का है यही सोच के करते है ,कार्य कितना कठिन है ये नहीं सोचते , बस कार्य प्रभु जी का है राम जी का है ,ऐसा सोच के करते है , मुझे ये काम करने से क्या लाभ होगा नहीं सोचते, कितनी कठिनाइयों के बाद ये काम हुआ है, मुझे क्या मिला नहीं सोचते ,मैंने राम जी का काम किया ,ऐसा भी तो नहीं सोचते , बस मेरा काम तो प्रभु का हर काम करना है , संसार के सारे काम प्रभु की आज्ञा है बस यही सोच के करना है , समर्पण है रामजी में, पूर्ण समर्पण है प्रभु में ,कुछ और है ही नहीं ।
हनुमान या विभीषण ?
भगवान् को दोनों प्रिय है , लेकिन हनुमान अधिक प्रिय है , क्यो ?
हनुमान और विभीषण दोनों ही भगवान् का नाम जपते है ।
हनुमान और विभीषण दोनों ही भगवान् को हर समय याद रखते है ।
लेकिन दोनों में एक अन्तर है !
हनुमान भगवान् को अधिक प्रिय है !
क्या विभीषण रावण का भाई था इस लिए अधिक प्रिय नही है ?
क्या उसने रावण को धोखा दिया था इसलिए अधिक प्रिय नहीं है ?
क्या कारण है की विभीषण भगवान् को प्रिय है लेकिन हनुमान जी अधिक प्रिय है ?
हनुमान जी के मन्दिर है , विभीषण जी के नही ! क्यो ?
हनुमान जी के मन्दिर में राम जी मूर्ति हो जरुरी नही !
लेकिन राम जी का मन्दिर हो हनुमान जी ना हों ऐसा हो नहीं सकता ! क्यो ?
हनुमान जी राम जी को अधिक प्रिय क्यो है ?
हनुमान जी राम जी का नाम लेते हैं तो वो तो विभीषण भी लेते हैं
भगवान् संबंधों को नहीं मानते कौन किसका भाई है ! जो भगवान् को भजता है वो राम जी को प्यारा है !
विभीषण ने धर्म का साथ दिया है । भगवान् के पास तो अभय प्राप्त करने आए थे , तो धोखा कैसा !
फिर भी हनुमान जी राम जी को प्रिय है !
क्या बात है की हनुमान जी राम जी को प्रिय है ?
हनुमान जी राम जी को प्रिय है क्योकि हनुमान जी राम जी का नाम ही लेते हैं ऐसा नहीं है , उनके नाम का जप करते हैं हर समय केवल ऐसा है ,नहीं केवल ऐसा ही नहीं है , हनुमान जी एक काम और करते है जो विभीषण " आप और हम " नहीं करते, आप और हम भी तो राम जी का नाम लेते है ,जप करते हैं, हम भी तो राम जी को प्रिय है , भगवान् को हम सब प्रिय हैं , लेकिन फ़िर भी हनुमान जी राम जी को अधिक प्रिय है , क्यो ?
क्योकि हनुमानजी राम जी नाम भी लेते है और काम भी करते हैं , वो भगवान् का काम करते हैं, वो भगवान का सब काम करते है , वो सब काम भगवान् का है ऐसा करके करते है, उनमें कोई स्वार्थ नहीं है , हर कार्य प्रभु का है यही सोच के करते है ,कार्य कितना कठिन है ये नहीं सोचते , बस कार्य प्रभु जी का है राम जी का है ,ऐसा सोच के करते है , मुझे ये काम करने से क्या लाभ होगा नहीं सोचते, कितनी कठिनाइयों के बाद ये काम हुआ है, मुझे क्या मिला नहीं सोचते ,मैंने राम जी का काम किया ,ऐसा भी तो नहीं सोचते , बस मेरा काम तो प्रभु का हर काम करना है , संसार के सारे काम प्रभु की आज्ञा है बस यही सोच के करना है , समर्पण है रामजी में, पूर्ण समर्पण है प्रभु में ,कुछ और है ही नहीं ।
"राम जी का नाम और राम जी का काम "
बस इसी कारण हनुमान जी रामजी को अधिक प्रिय है । बस इसी कारण हम रामजी को प्रिय है ,लेकिन हनुमान जी अधिक प्रिय है ।
बस इसी कारण हनुमान जी रामजी को अधिक प्रिय है । बस इसी कारण हम रामजी को प्रिय है ,लेकिन हनुमान जी अधिक प्रिय है ।
हम राम जी के पास जाते है तो किस लिए ?
राम का नाम लेते है तो किस लिए ?
राम नाम लिखते हैं तो किस लिए ?
राम राम जपते हैं तो किसलिए ?
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